व्यवसायिकता की ओर उन्मुख छत्तीसगढ़ की आदिवासी एवं लोक कला संस्कृति

Main Author: डॉ. नीलिमा गुप्ता
Format: Article eJournal
Terbitan: , 2019
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  • सृष्टि के प्रारम्भ से सभ्यता के विभिन्न सोपानों से गुजरती हुई कला वर्तमान तक निरन्तर आगे बढ़ती जा रही है। छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है। आदिवासी जीवन अर्थात ऐसा रस जो ऊपर से निर्विकार किन्तु भीतर से संवेदी, उतावली, निर्झर के समान छलछलाता, उज्जवल एवं निष्पाप। यहाँ के निवासी आदिकाल से ही संघर्षमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस क्षेत्र में अनेक संस्कृतियाँ जन्मीं, पुष्पित-पल्लवित हुयीं। यहाँ के पुरातात्विक स्थलों में इस क्षेत्र की कला एवं संस्कृति की धरोहर सुरक्षित हैं। रामायण में यहाँ के लिये 'महारण्य' शब्द का प्रयोग किया गया है। सिंघनपुर, कबरा, बानी, बसनाझर, ओगना, कर्मागढ़, बेनीपाट तथा नवागढ़ पहाड़ी से प्राप्त 'आदिम कला' के अवशेष छत्तीसगढ़ के मानव का कला प्रेम स्थापित करते हैं।