र ंगा ें का जीवन में प ्रभाव (स ूर्य किरणें)

Main Author: डा ॅ. श्रद्धा मालवीय
Format: Article Journal
Terbitan: , 2017
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Online Access: https://zenodo.org/record/891856
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  • डा ॅ. लेबिस ने लिखा है कि ध ूप आ ैर पाचन की क्रियाआ ें में बड़ा घनिष्ठ सम्बंध ह ैं। यदि मनुष्य या अन्य किसी प्राणी पर प ्रति दिन सूर्य किरणें नहीं पड़ती, तो उसकी पाचन आ ैर समीकरण षक्ति क्षीण हो जाती ह ै। स्फुरण तथा मानव जीवन इन दोना ें का परस्पर घनिष्ठ सम्बंध ह ै। जीवन का सम्ब ंध प ्रकाष षक्ति तथा उसक े वर्ण वैभव से ह ै, न कि प ्रोटीन, ष्व ेत सार, हाइड्रोजन, कार्बन अथवा उष्णांक स े। आकाश आ ैर वायु-तत्व की भाँति प ्रकाष तत्व भी अत्यंत सूक्ष्म ह ै। प्रकृति क े हरे भरे प ्रषस्त अंचल में हम जा े अनेक रंगा ें क े चित्र देखते ह ै, यह सब स ूर्य की सतरंगी किरणों की ही माया ह ै। प ्रकाष में अन्तर्निहित रंगीनी क ेवल नेत्रा ें का े ही सुन्दर प ्रतीत नहीं होती प ्रत्युत जीवन रंजक भी ह ै। सूर्य की किरणा ें का प ्राणी जगत पर स्थायी प ्रभाव पड़ा है। सूर्य किरण चिकित्सा का यही मूलधार ह ै। रंगीन बा ेतलों में पानी रखने से प ्रकाष का प ्रभाव भी बदलता रहता ह ै आ ैर उसमें भाँति- भाँति के गुण उत्पन्न हो जाते ह ैं। सूर्य की किरणा ें क े रंग हमें आँखों स े सूर्य की किरणें ष्व ेत प ्रतीत होती है किन्तु वास्तव में ये सात रंगा ें की बना र्ह ुइ है। इन सात रंगा ें का रासायनिक प्रभाव प ृथक-पृथक होता ह ै। विभिन्न फलों तथा तरकारियों में प ्रकाष रंग का नाना प्रकार क े गुण प ्रदान करता ह ै। इन रायासनिक गुणों क े अनुसार हम षाक-भाजिया ें का प ्रया ेग करते ह ै। प ्रकृति की रंगीन रचना में सबका कुछ न कुछ गुप्त प ्रयोजन ह ै। वनस्पति जगत में प ्रकाष तत्व के कारण ही नाना प ्रकार के गुण, रंग एव ं रायायनिक तत्व देखन े में आते ह ै।