र ंगा ें म ें समाहित चित्रकार विकास भट्टाचार्यजी की कलाकृतियाँ
Main Author: | Ruchika Shrivastava |
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Format: | Article Journal |
Terbitan: |
, 2017
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Subjects: | |
Online Access: |
https://zenodo.org/record/890547 |
Daftar Isi:
- कला का इतिहास उतना ही प ुराना ह ै जितना की मानव का इतिहास। ऐसा कहा जाता ह ै कि मनुश्य ने जिस समय अपने नेत्रा ें का े खा ेला तब से ही वह अपनी आजीविका के लिये दिन प ्रतिदिन नव निर्मा ण के कार्य में जुट गया आ ैर उसकी इस नव निर्मा ण प्रवृति ने उसक े जीवन का े रा ेमा ंचक, खुषहाल व समृद्ध बनाया है। इस रोमांचकता, ख ुषहाली व समृद्धि को दर्षाने के लिये उसनें (मनुश्य नें) चित्रकला का सहारा लिया आ ैर उसे सही रुप में व्यक्त करने क े लिये ं रगा ें का े अपना साथी बनाया। उसने कहीं गहरे रंग ता े कही ं हल्के रंगा ें का प ्रयोग करके अपनी भावनाओं का े देखने वाला ें के सम्मुख प्रस्तुत किया। रंग किसी भी व्यक्ति के जीवन में बह ुत महत्वप ूर्ण स्थान रखते ह ै। आध ुनिक परिवेष में कलाओं ने मानव समाज को इस तरह प ्रभावित किया ह ै कि वह किसी भी प्रकार की कला के बिना अपने आपको अधूरा महसूस करता ह ै वह कला फिर चाह े संगीत हो, लेखन हा े, फोटा ेग्राफी हो या फिर चित्रकला ही क्यों न हा े। आज के परिवेष में कुछ प ्रकार से कलायें व्यक्ति के व्यक्तित्व को प ्रभावित व उजागर करने में सहया ेग करती ह ै। मेरे द्वारा लिखित षोध पत्र में चित्रण मे ं रगा ें के प ्रया ेग से किस प ्रकार के प ्रभावा ें का े दिखाया जा सकता है चित्रकार बिकास भट्टाचार्यजी जा े फोटा ेयर्था थ वादी चित्रकारा ें में गिने जाते ह ै उन्होनें रंगा ें का किस प ्रकार प्रयोग किया ह ै यही विषय रह ेगा।