हिन्दुस्तानी एवं पाश्चात्य स ंगीत पद्धति क े सम्मिश्रण द्वारा उत्पन्न स ंगीत- तत् वाद्या ें के विश ेष स ंदर्भ में (फ़्य ूज़न-म्यूजि ़क)
Main Author: | प ्रो. किन्श ुक श्रीवास्तव |
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Format: | Article Journal |
Terbitan: |
, 2017
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Subjects: | |
Online Access: |
https://zenodo.org/record/885857 |
Daftar Isi:
- शास्त्रीय संगीत भारतीय संस्कृति का एक अनमोल तत्व है। का ेई भी धर्म, सभ्यता, संस्कृति, परम्परा संगीत के साथ ही चिरन्तनता को प ्राप्त हा ेता ह ै। पृथ्वी पर प्रत्येक जीवन्त तत्व संगीत से जुड़ा ह ै आ ैर प ्राणीमात्र आपस में संगीत द्वारा ही जुड़े ह ै। क्योंकि मानव भाव-प ्रधान है आ ैर संगीत क े द्वारा अभिव्यक्त भावों क े माध्यम से ही भिन्न संस्कृतियों क े लोग भी आपस में जुड़े ह ै ं। शास्त्रीय संगीत या भारतीय सांस्कृतिक संगीत जिसे व ैदिक संगीत अथवा प्राचीन संगीत आ ैर कलात्मक संगीत भी कहा जा सकता ह ै, अपनी भा ैगोलिक सीमाओं क े अन्दर ही भिन्न-भिन्न धाराआ ें में पल्लवित होता आ रहा ह ै। भिन्न-भिन्न धर्मा ें क े अनुसार गाया बजाया जाने वाला संगीत आधुनिक युग में अ ंषतः आ ैर विश ेषतः आ ैद्यौगिक प ्रगति में नवीन प्रया ेगा ें द्वारा विकसित हो रहा है। भिन्न-भिन्न देशा ें में संगीत का संव ेदन अलग-अलग प ्रकार से होता ह ै यह सारे कारण और प ्रभाव एवं व ैज्ञानिक साधन आधुनिक युग के नए स ंगीत ‘फ़्यूज़न’ का े प्रवाह देते ह ै। ‘फ़्यूज़न’ संगीत नवीन प ्रयोगा ें से सम्बन्धित भारतीय शास्त्रीय संगीत पर पड़ा कोई दुष्प ्रभाव न होकर 21वीं सदी की व ैज्ञानिकता आ ैर संगणात्मकता क े बल पर उपजा संगीत ह ै। ‘फ़्यूज़न’ म्यूजि ़क प ूरे संसार मे ं सभी देशों में बन रहा ह ै। यही आज के युग मे ं संगीत की आधुनिक भूमिका ह ै। फ़्यूज़न म्यूजि ़क में भिन्न-भिन्न देशा ें की भिन्न-भिन्न सभ्यताओं का सम्मिश्रण ह ै। इसमें संगीतकार अपनी व्यक्तिगत ए ेतिहासिक सांस्कृतिक सीमाओं से परे अन्य संस्कृति से जुड़े संगीतकारों क े साथ मिलकर इकट्ठे संगीत के नए तरीकों की रचना करते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में विदेश की धरती पर फ़्यूज़न बहुत समय प ूर्व ही शुरू हो गया था, जब महान् सितार वादक पण्डित रवि शंकर ने विदेशों में जाकर कार्यक्रम किए आ ैर वहा ं क े संगीतकारा ें क े साथ मिलकर संगीत में मिश्रण (ठसमदकपदह) का काम किया।