लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण में मनरेगा की भूमिका: मीडिया की भूमिका के विशेष संदर्भ में
Main Author: | पटेल राजेन्द्र कुमार |
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Format: | Article Journal |
Terbitan: |
, 2020
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Subjects: | |
Online Access: |
https://zenodo.org/record/3784679 |
Daftar Isi:
- विश्व में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र कहलाने वाले भारत में आजादी के साथ ही संसदीय प्रणाली को अपनाया गया और लोकतंत्र स्थापित किया गया जिस कारण भारत में विकेन्द्रित शासन व्यवस्था के सिद्धांत को अपनाया गया है। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान निर्मात्री सभा के अनुभवों के अनुसार सम्पूर्ण देश के गांवों का शासन राजधानी दिल्ली से कर पाना संभव न था जिस कारण संविधान द्वारा देश को एक लोक कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए विकेंद्रीकरण पर जोर दिया गया जिससे सत्ता का हस्तांतरण ऊपर से नीचे की ओर किया जाने लगा और उच्च अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के प्रति उतरदायित्व की भूमिका बढ़ने लगी। विकेंद्रीकरण से स्थानीय जनता का चहुमुखी विकास संभव हो पाता है वहीँ प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक विकास का अधिकार भी जनप्रतिनिधियों को प्राप्त होता है। सत्ता के विकेंद्रीकरण द्वारा ही सही अर्थों में कल्याणकारी राज्य की स्थापना की जा सकती है। इससे ही जनता में सहयोग, उत्तरदायित्व, स्वावलंबन आदि गुणों का विकास होता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा देश होने के साथ-साथ देश की अधिकांश जनसंख्या आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जिस कारण गाँधी जी ने इसे “गाँवो के देश” की संज्ञा दी थी। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोगों की आर्थिक स्थिति खराब होने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी के चलते अधिकांश लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे है जिसके कारण आज कई गाँव वीरान होने की स्थिति में है। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त समस्याओ को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा लोगों को अपने ही गांवों में रोजगार प्रदान कराने का निर्णय लिया गया और केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा योजना का क्रियान्वयन किया गया जिससे लोगो को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया जिसमे लोगों को अपने ही गांवों में विकास के कार्यों में लगाया गया। जिस कारण लोगों को रोजगार मिलने के साथ-साथ उनके गांवों का भी विकास होने लगा, जिससे धीरे-धीरे ग्रामीण लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा और गांवों से शहरो की और होने वाले पलायन में भी कमी होने लगी। जो सिर्फ लोकतंत्र के द्वारा ही संभव हो सका और इसके साथ-साथ लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के माध्यम से त्रिस्तरीय व्यवस्था का संचालन सुचारू रूप से होने लगा जिसमे सत्ता का हस्तांतरण जिला, जनपद और ग्राम स्तर पर ऊपर से नीचे की तरफ होने लगा और उत्तरदायित्व नीचे के स्तर वालों का ऊपर के स्तर वालों के लिए बढ़ गया। लोकतंत्र में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण, सत्ता के हस्तांतरण और जन नीतियों का सुचारू रूप से क्रियान्वयन और सुचारू रूप से संचालित होने के पीछे सबसे प्रमुख योगदान लोकतंत्र का चैथा आधार स्तंभ कहलाने वाली मीडिया का है क्योकि लोकतंत्र में सरकार जनता की होती है जिसमे जनता द्वारा चुने हुए लोग होते है जिनके प्रति ये उत्तरदायी भी होते है। इन प्रतिनिधियों को तानाशाही होने से रोकने का योगदान सिर्फ मीडिया को जाता है जिससे इसे लोकतंत्र का चैथा आधार स्तंभ कहा जाता है जिससे लोगो को सरकार के द्वारा बनाई गई नीतियों और उनकी गतिविधियों आदि के बारे में जानकारी मिलती है। देष-विदेष में हो रही समस्त प्रकार की गतिविधियों को जन-जन तक पहुचने और उजागर करने का कार्य मीडिया द्वारा हर समय किया जाता है जिससे लोगों में जागरूकता देखने को मिलती है, इस कारण लोकतंत्र आज भी भारत देश में जीवित और व्याप्त है।