वर्तमान कालीन भारतीय कला-समकालीन कला के संदर्भ में
Main Author: | सचिन केसरवानी |
---|---|
Format: | Article Journal |
Terbitan: |
, 2019
|
Subjects: | |
Online Access: |
https://zenodo.org/record/3592668 |
Daftar Isi:
- कला का यह परिवर्तन समकालीन कला के रूप में हमारे समक्ष है। जिनमें नवीन प्रयोग कला का पर्याय बनते जा रहे है। कलाकार सामूहिक पहचान से दूर व्यक्तिगत मौलिकता की ओर अधिक आकृष्ट है। वस्तुतः आधुनिकता या समकालीनता का तात्पर्य है नवीन दिशा खोजने एवं मौलिक सृजनात्मकता के माध्यम से समाज की नवीन चेतना प्रदान करते हुए प्रोन्नति की ओर अग्रसर करना। समसामयिक कला जीवन की नवीनताओं, सृजनात्मक सम्भावनाओं, गहन संवेदनाओं तथा वैचारिक शक्ति के साथ जीवन को समझने का एक प्रयास है। आज कलाकार कल्पनाशील होकर नवीन रूपों का जो प्रकृति से न मिल रहे हो, निर्माण करना चाहता है। इसके अलावा भारतीय कला की अवधारणा सदैव हमारे धार्मिक विश्वासों से संबंधित रही है। यहाँ तक कि तात्विक दृष्टिकोण तक विभिन्न चित्रमय युक्तियाँ व चाक्षुष आकार, सम्बन्धी भाषा, प्रतीकात्मक व व्यंजक रंग और रैखिक प्रभावों की रचना पारम्परिक व लोक कलाओं में समकालीन कलाकारों में एक जैसा है। इन चाक्षुष आकारों का खूब अध्ययन किया गया है। इसी तरह आंतरिक दुनियाँ के बिंब को, जिसके प्रति भारतीय कलाकार आकर्षित रहे है, समकालीन कलाकारों ने व्यापकता से अपनाया है।