आदिवासी अंग आरेखन कला - गुदना
Main Author: | डॉ. सुषमा जैन |
---|---|
Format: | Article Journal |
Terbitan: |
, 2019
|
Subjects: | |
Online Access: |
https://zenodo.org/record/3585003 |
Daftar Isi:
- वन्य जाति या जनजाति को आदिम, आदिवासी, वनवासी गिरिजन अनुसूचित जनजाति के नामों से जाना जाता है, इन्हें हम आदिम या आदिवासी इसलिए कहते हैं, क्योंकि ये भारत के सबसे प्राचीनतम निवासी माने जाते हैं । भारत में द्रविडों के आगमन से पूर्व यहाँ ये ही लोग निवास करते थे। आदिम संस्कृति आखिर है क्या ? आदिम संस्कृति को जानने, समझने का प्रयत्न संपूर्ण विश्व में हो रहा है, जितने पहलु हमने आदिम समूहों के बारे में जान लिए हैं, उतने ही और भी जानने के लिए शेष बचे हैं । भले ही हम आज कितने ही सभ्य और आधुनिक कहलाने लगे हैं, लेकिन यह सत्य है कि, हमारे समाज में आज भी आदिवासियों की संख्या दो तिहाई है1 । अपनी निजी संस्कृति एवं जीवन पद्धति को अपनाये आदिम समूहों के इतिहास को देखें तो लोग समाज के समानान्तर आदिवासी समाज भी हर परिस्थिति में अपनी आदिम ऊर्जा और शक्ति के साथ जीवन जीता रहा । आदिवासी आज भी हजारों वर्ष पुरातन मान्यताओं, अवधारणाओं, परंपराओं और प्रथाओं को ज्यों का त्यों अपनाते आए हैं । किन्तु यह उनका अंधा अनुकरण मात्र नहीं है, अपितु सहज ज्ञान और समझदारी से ही जनजीवन की यात्रा होती है । वे बुद्धि का अधिक प्रयोग न करते हुए सहज वृत्तियों के आधार पर प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते रहते है ।