विरांगना रानी हिराई के प्रशासन एंव युद्धनीती का अध्ययन
Main Author: | Deshpande, Ramkrishna |
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Format: | Article info application/pdf eJournal |
Bahasa: | eng |
Terbitan: |
Adivasi Gondwana Bhasha Prachar Bahuddeshiya Shiksan Sanstha
, 2022
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Subjects: | |
Online Access: |
https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/60 https://agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/60/82 |
Daftar Isi:
- प्राचिन समय मे संपूर्ण भारत मे बडे बडे युध्द हुवे है । इनमे स्त्रियों की कर्तबगारी और पराक्रम अव्दितीय है। स्त्रियोंने युध्द अपने पराक्रम से जिते है। शत्रु पक्ष को अपने युध्द कौशल्य और रननिती से युध्दमैदान से भगाया है। चाँदागड की रानी हिराई आत्राम इन्होने युध्द ने अपनी कौशल्यता और रननिती का असाधारन परीचय दिया है। एैसे शुरविर रानी हिराई आत्राम का अगर इतिहास के पन्नोपर नाम ना हो तो इस से बडा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। साहीत्यकारोंकी अनदेखी सच्चे इतिहास को दबा देती है। जो इतिहास गौरवपुर्ण हो मै लेखक इसके बारेमे जानकारी दे रहा हूँ। ये वाकई आनेवाले नई पीढी के नौजवानों को प्रेरनादायी साबित हो। और उनके लिऐ एक आदर्श इतिहास की कडी साबित होगी। रानी हिराई बचपन से ही घुडस्वारी, तलवारबाजी की शौकीन थी इसलिऐ उनमे वे सब विरयोध्दा के गुण भरे थे राज्य को कैसे चलाना यह उन्होने अपने पितासे सिखा था। रानी हिराई एक महान थी जिसने बडी कुशलतासे चाँदागड का राज्य शौर्यतासे , बध्दिमत्तासे और चतुरतासे स्वाभिमानी वृत्तीसे चलाया था। चाँदागड के गोंडराजा बिरशहा आत्राम प्रथम इनके साथ रानी हिराई की शादी हुई थी । राजा बिरशहा आत्राम चाँदागड को पहली पत्नी रानी हिराई से कन्या हुई उन्हे कोई बेटा नही था। राजा कृष्णशहा की मृत्यूपरांत औरंगजेब व्दारा खिलती वस्त्र, मनसब और मुहर देकर चाँदागड के राज्य पर बिरशहा का राज्यरोहन किया गया ।